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चोरी का खाना

कपाली सेठ की चारपाई की तरफ बढ़ रहा था,

सेठानी ओर सेठ के खर्राटे कानों को फ़ाड़ रहे थे उसे ये कन्फर्म हो गया कि ये तो अब सुबह ही उठेंगे, उसने चारों तरफ देखा कोई और वहाँ नज़र नहीं आ रहा था, वो एक कमरे की तरफ बढ़ गया, हल्की सी चू चू की आवाज़ में दरवाज़ा खुल गया, कपाली ने देखा एक बड़ा सा कमरा था, जिसमे कई संदूक रखे हुवे थे, सबसे नीचे बड़ा संदूक उसके उपर उससे छोटा उसके ऊपर उससे छोटा, कपाली ने सोचा यहाँ से संदूक ही उठा लिया जाये उसके अंदर कुछ कपडे मिल ही जायेंगे.. लेकिन सबसे छोटा संदूक भी भारी लगता था उसने मन बदल दिया और उसको खोल कर उसमें कपडे देखने लगा, … शायद सबसे उपर वाले संदूक में उनके रोज़ाना के कपडे रखे हुवे थे, और कपाली वहीं चाहता भी था, उसने उस मे से तीन चार जोड़ी कपड़े सेठ जी के और दो तीन जोड़ी सेठानी के निकाल लिए और सभी एक कपडे में बाँध लिए…

वो हल्की आवाज़ में उस कमरें से बाहर निकला, अभी तक शिखर की तरफ से कोई आवाज़ नहीं आयी थी, मतलब सेठ और सेठानी अभी उठे नहीं थे, और ना ही कोई बाहर आया था, अब कपाली वहाँ रसोई ढूंढ़ने लगा.. वो चारों तरफ घूम गया लेकिन उसको रसोई नहीं मिली, हर एक कमरें को उसने छान मारा था,

शायद आज उनको ऐसे ही बिना खाये सोना पड़ेगा.. वो आगे बढ़ गया,

तभी उसने देखा दाई तरफ एक कोठरी बनी थी, और उसके आगे कुछ देगचिया उलटी रखी हुयी थीं, अब कपाली को याद आया के वो गलत जगह ढूंढ रहा था, पहले के लोग रसोई घर के अंदर नहीं बनाते थे जैसे अब किचन होते हैं, और देगची उलटी तब रखते थे जब उनको साफ कर दिया जाता था, मतलब यां तो खाना ख़त्म हो गया हैं यां फिर अंदर कोठरी में होगा, कपाली उधर की तरफ बढ़ गया..

कपाली ने अंदर देखा बाहर से रौशनी तो ना के बराबर थी लेकिन अंदर कुछ हांडी बिल्कुल बीचो बीच टांगने वाली रस्सी और रखी हुयी थी, कपाली समझ गया इसमें खाना होगा क्योंकी वो तभी तांगा जाता था जिससे बिल्ली यां ऐसे जानवर से बचाया जा सके.. कपाली ने अपने हाथ बढ़ा दिए लेकिन वो हांडी उसके हाथों से थोड़ा उपर थी, कपाली उचक गया, पर वो सही से उसके हाथ में नहीं आ रही थी,

तभी बाहर से सेठ के खाँसने और गला सही करने की आवाज़ आयी.. कपाली के हाथ रुक गये, वो अपनी जगह पर जम गया था, उन्होंने कॉलेज में बहुत से कारनामें कए थे लेकिन कभी चोरी नहीं के थीं और वो भी लगभग 500 साल पहले के समय में जाकर.. लेकिन ये इनके कॉलेज में कए गये सारे कारनामो से ज्यादा आसान था,

शिखर की सीटी नहीं बजी थी इसलिए कपाली को यकीन था के सेठ फिर से अपनी जगह पर ही सौ गया होगा उसने अपने पंजो के बल खड़े होकर वो हांडी उतार ली, और अपने कंधे पर वो कपड़ों की पोटली भी ले लीं थी वो शिखर की तरफ बढ़ने लगा,

शिखर दिवार के दूसरी तरफ खड़ा हुआ था, वो कपाली को अपनी तरफ आता देख रहा था, पहले तो कपाली ने उसको हांडी दी शिखर ने आराम से पकड़ कर उसको दूसरी तरफ रख दी, फिर उसने अपने कंधे से उतार कर उसको कपड़ों की वो पोटली भी दे दी.

अब कपाली दिवार पर चढ़ रहा था तभी उसे कुछ याद आया.. वो वापस पलटने लगा,

शिखर ने तुरंत फुसफुसा कर कहा, तू क्या कर रहा है अब, वापस क्यों जा रहा है फिर से..

कपाली सेठ और सेठानी की तरफ आगे बढ़ा और उनके पास पोहचा, उसने पक्का कर लिया था के वो दोनों गहरी नींद में सोये हुवे हैं.. उसने धीरे से सिराहने के नीचे से वो मूलधन वाली पोटली निकाल ली, जिसके बारे में वो लोग बात कर रहें थे.. पोटली भारी थी, मतलब इसमें काफ़ी सिक्के होंगे,.. कपाली आराम से आगे बढ़ने लगा,...

वह धीरे से दिवार की तरफ आया और तेजी से कूद कर मकान से बाहर हो गया।

दोनों ने राहत की सांस ली थी,.. वो दोनों वापस उस मकान की तरफ बढ़ने लगे जहाँ पर तान्या और सोहन उनका इंतिजार कर रहे थे,

शिखर ने गुस्से से उसको देखा, उसने देख लिया था के कपाली ने पैसो की पोटली भी उठा लीं है.. तुझे ये नहीं करना था.. हम पैसो के बिना यहाँ कैसे रह सकते है, और जब इतनी चारी कर लीं तब थोड़ी से पैसो की और सही कपाली ने शिखर से कहा..

और वो दबे पांव वो छुपते छुपाते उस मकान मे पोहचे.. उनकी आहट पाकर सोहन तान्या अन्दर ही छुप गये थे, जब कपाली और शिखर ने उनको आवाज़ दी वो बाहर निकले..

तुम लोग क्या क्या उठा लाये हो सोहन ने उनको देखा एक के हाथ में हांडी थीं और एक ने बड़ी सी पोटली तंगी हुयी थी..सोहन ने पूछा..

पसीना पोछतें हुए कपाली बोला,"लो बस सारा इंतजाम हो गया है अब ना जाने भगवान मुझ से क्या क्या करवायेगा। आज चोरी भी करनी पड़ी है ।" यह कह कर उसने अशर्फी की पोटली और सारे कपड़े उनके आगे रख दिए।

शिखर ने हांडी नीचे रख दी थी.. और जल्दी से उसको खोल कर देखने लगा.. उन्होंने कुछ खाया नहीं था सभी को भूक बहुत ज्यादा लगी थी

मैं चोरी क्या हुआ खाना तो बिल्कुल नहीं खाउंगी..तान्या ने कहा..

क्या बात कर रही हो हो यार, इतनी मेहनत से लाये हैं, शिखर ने कहा, और हांडी को खोल कर देखने लगा, उसमें पुरिया रखी थी, नमकीन पूरी के साथ में मीठी पूरी भी थीं.. वो तीनों उठा उठा कर खाने लगे..वो तीनों चोर नज़रो से तान्या को देख रहे थे, .. तान्या उनको गुस्से में देखती और फिर इधर उधर देखने लगती थी…

तान्या ने थोड़ी देर तक देखा लेकिन जब उनमें से किसी ने उससे खाने का नहीं बोला वो खुद ही आगे बढ़कर उसमें से पूरी निकलने लगी,

वो तीनों तान्या को कर हँसने लगे.. और जब एक बार शुरू हो जाओ तब रुकना मुश्किल होता हैं, वो वो बहुत देर तक हँसते रहें थे, तान्या ने कहा चुप हो जाओ तुम तीनों.. लेकिन तीनो उसके चेहरे को देख कर अभी भी हस रहें थे, तान्या ने थोड़ा तेज़ आवाज़ में कहा चुप हो जाओ मुझे बाहर से आवाज़ आ रही हैं.. कोई बाहर हैं

सभी एक दम चुप हो गये,

उन्होंने बाहर कान लगा कर सुना, कोई अंदर की तरफ आरहा था, और बाहर रखे किसी सामान से टकराया था, यां सामान को गिराया था, उनके दिल तेजी से धड़कने लगे थे.. जो भी था उसकी साँसो की आवाज़ उनको अंदर तक आरही थी..

वो सभी उठ कर अंधेरे में इधर उधर खड़े हो गये जिससे जो भी अंदर आये उसको वो नज़र नहीं आये … थोड़ी देर पहले जहाँ हसी गूंज रही थी अब वहाँ सिर्फ सन्नाटा था , सबकी सिर्फ हल्की साँसो की है आवाज़ आरही थी,

जब एन्तिज़ार करने के बाद कोई अंदर नहीं आया तब कपाली और शिखर ने आँखों आँखों में कहा के आगे बढ़ना चाहिए…

कपाली ने चश्मा निकाला और उसको अपने हाथ में ले लिया अगर वहाँ कोई सैनिक यां वो सेठ जिनके यहाँ से वो चोरी कर के आये थे वो होते तब कपाली तैयार था वहाँ से गायब होने के लिए कपाली को बस चश्मे को आर्डर देना था के वो उन चारों को वहाँ से दूर पोहचा दे, चश्मा खुद उनको दूर पहुंचा देगा, अनजाने में ही कपाली के बहुत बड़ी शक्ति हाथ लग गयी थी..

शिखर और कपाली ने तान्या और सोहन को इशारा क्या के वो अपनी जगह पर रहें, और खुद धीरे धीरे आगे बढे और उस कमरे से निकल कर बाहर आंगन में पोहचे..

तान्या और सोहन पास में खड़े हुवे थे और उनकी साँसे तेज़ थी, जो एक दुसरी के चेहरों पर टकरा रही थीं..

तभी बाहर से कपाली की आवाज़ आयी.. ओये बाहर आ जाओ कोई प्रॉब्लम नहीं है.. ऐसे ही डरा दिया इस साले ने…

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6 Comments

Anjali korde

15-Sep-2023 12:09 PM

Nice

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Babita patel

15-Sep-2023 10:28 AM

Amazing

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hema mohril

13-Sep-2023 08:37 PM

Awesome

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